सोमवार, 16 अप्रैल 2012

मेरी राहों का तम हरता है ... !!!













 कैसे बिखरे हैं आज शब्‍द
मन के आंगन में
मैं समेटती हूं
भावनाओं की अंजुरी में जब  भी
ये दूर छिटक
मुझसे जाने कैसे - कैसे सवाल करते हैं
मैने कुछ नहीं छिपाया इनसे
सच कहा है सदा
सच को ही जिया है सदा
मेरा वज़ूद सच की
आंच से तप कर कुंदन हुआ
मन में  कितना भी क्रंदन हुआ
पर नहीं तन कभी विचलित हुआ
है शिखर पर आज जो
होकर मुझसे ज़ुदा
कल वो मेरा ही साया थे
तुम ही कहो
साया भी कभी पराया होता है?
पर कैसे समझाऊं
किसको अपना मन दर्पण दिखलाऊं
इनके मन का भरम में
किस विधि मिटाऊं
.....
वक्‍त की साजि़शों का शिकार
जब भी कभी मन होता है
सच कहूं
बस अपनों से ही गिला होता है
एहसासों के म‍ंदिर में
एक दिया विश्‍वास का जलता है
यही है वह  दिया जो
हर तूफ़ान में
मेरी राहों का तम हरता है ...

41 टिप्‍पणियां:

  1. विश्वास का ये दिया सदा जलता रहे ...सदा जी ..
    अनेक शुभकामनायें ...!!

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  2. एहसासों के म‍ंदिर में
    एक दिया विश्‍वास का जलता है
    यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ...



    छू गए शब्द दिल को!! बहुत सुन्दर और प्रेरित करती रचना...
    सादर

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  3. जब आस पास रौशनी ना हो तो साया साथ छोड़ता ही है..............
    विश्वास का दीप जलाये रखिये..........राह अपने आप मिलेगी....

    बहुत सुंदर रचना सदा....

    सस्नेह.

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  4. बहुत सुन्दर

    शब्द-भाव -प्रवाह ।

    वाह वाह ।।

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  5. विश्वास के ये दिये जलते रहने चाहियें .. शाश्वत ... भावमय रचना ...

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  6. बहुत सुंदर

    भावनाओं की अंजुरी....

    मुझे याद नहीं ये अंजुरी शब्द मैने कितने दिनों बाद सुना होगा। इतना प्यारा वाकई कहीं गुम हो गया था।

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  7. एक दिया विश्‍वास का जलता है
    यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ...

    विस्वास के सहारे ही तो जीवन की नैया चलती है

    बहुत सुंदर सार्थक भावनात्मक रचना...बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई

    सदा जी,..मेरे पोस्ट पर आइये स्वागत है,...
    .
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  8. वक्‍त की साजि़शों का शिकार
    जब भी कभी मन होता है
    सच कहूं
    बस अपनों से ही गिला होता है ... स्वाभाविक है.

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  9. वक्‍त की साजि़शों का शिकार
    जब भी कभी मन होता है
    सच कहूं
    बस अपनों से ही गिला होता है
    Bilkul sahee kaha aapne!

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  10. सच, यह दिया नहीं होता तो रास्ते अंधेरे में खो जाते, सदा जी बहुत गहरी सोंच है, आभार

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  11. कैसे बिखरे हैं आज शब्‍द
    मन के आंगन में
    मैं समेटती हूं
    भावनाओं की अंजुरी में जब भी
    ये दूर छिटक
    मुझसे जाने कैसे - कैसे सवाल करते हैं
    बहुत कठिन भावाभिव्यक्ति है जिसे पर्याप्त शब्दों के साथ कहा गया है. कविता सकारात्मकता के साथ मंज़िल तक आती है.

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  12. बहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति सदाजी ......!!!

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  13. विश्वास बनाये दृढ़ रखता,
    स्पष्ट समय की थापों पर।

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  14. विश्वास से तो परम-सत्ता तक पहुंचे हैं लोग। उस सत्ता से नीचे कोई किसी भी शिखर पर क्यों न हो,कमतर ही है।

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  15. यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ..

    जी हाँ ..
    विश्वास न हो
    तो
    कोई आस-पास न हो

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  16. ...शब्दांकन और तस्वीर दोनों ही बहुत अच्छी लगीं ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  17. तुम ही कहो
    साया भी कभी पराया होता है?
    पर कैसे समझाऊं
    किसको अपना मन दर्पण दिखलाऊं
    इनके मन का भरम में
    किस विधि मिटाऊं
    भावनाओं में रची बसी सुन्दर प्रस्तुति. बधाई

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  18. इस कविता का आशावादी स्वर हमें प्रेरित करते हैं।

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  19. एक उम्मीद का दिया दिखाती, कोमल भावनाओं को खूबसूरत में शब्दों में पिरोती संवेदनशील रचना!!

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  20. एहसासों के म‍ंदिर में
    एक दिया विश्‍वास का जलता है
    यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ...

    Skaratmak Soch liye Panktiyan..... Sunder Rachna

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  21. बहुत ही सुन्दर और आशा भरी पोस्ट।

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  22. बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर आशाओं से भरी अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...

    MY RECENT POST काव्यान्जलि ...: कवि,...

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  23. बेहतरीन रचना,कोमल भाव.कोमल भाव बढ़िया प्रस्तुति

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  24. लाख तम हर लेता हो
    पर विश्वास ही है जो
    जीवन को आगे बढाता है

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  25. शब्दों के बिखरने की मन में छवि बनी मानो आँधी आयी हो और बाहर रस्सी पर सूखने के लिए शब्दों को इधर उधर बिखेर दिया हो. :)

    सदा जी, मेरे चिट्ठे के बारे में "नयी पुरानी हलचल" पर लिन्क देने के लिए बहुत धन्यवाद

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  26. एहसासों के म‍ंदिर में
    एक दिया विश्‍वास का जलता है
    यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ...
    sunder bhavon se saji aapki kavita man ko bhai hai
    rachana

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  27. सच कहूं
    बस अपनों से ही गिला होता है
    एहसासों के म‍ंदिर में
    एक दिया विश्‍वास का जलता है
    यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ...

    हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति....

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  28. भावुक कविता.. यह आस और विश्‍वास का दिया यूं ही जलता रहे।

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  29. वक्‍त की साजि़शों का शिकार
    जब भी कभी मन होता है
    सच कहूं
    बस अपनों से ही गिला होता है

    ....यही आज का सत्य है...बहुत सुन्दर भावमयी अभिव्यक्ति...

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  30. वक्‍त की साजि़शों का शिकार
    जब भी कभी मन होता है
    सच कहूं
    बस अपनों से ही गिला होता है
    एहसासों के म‍ंदिर में
    एक दिया विश्‍वास का जलता है
    यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है
    सत्य का एहसास कराती बेहतरीन रचना

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  31. यही है वह दिया जो
    हर तूफ़ान में
    मेरी राहों का तम हरता है ......kitna sahi kahe hain.

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  32. बहुत सुन्दर सदा जी ..आपकी इस रचना को पढ़ कर अपनी एक रचना याद आ गई

    मेरे मन के आँगन में
    नहीं खिलते अब
    कोई भी फूल
    न ही लगते हैं
    कोई बेल बूटे

    http://sumanmeet.blogspot.in/2011/12/blog-post.html

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  33. बस विश्वास का दिया "सदा" यूं ही जलाये रहियेगा...

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  34. बहुत ही सुन्दर बहुत ही बेहतरीन रचना....

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