सोमवार, 12 मार्च 2012

मेरे कांधे पर तुम्‍हारे हांथ की तरह ...


















उत्‍साह का होना बहुत जरूरी है
इससे रक्‍त का संचार
जितने वेग से बहता है
हमारी वाणी में
जोश भी उतनी ही तेजी से आता है
उत्‍साह यदि अच्‍छे-बुरे का ज्ञान भी
साथ लेकर चले तो
कदम सार्थक हो सकते हैं ...
दिशाओं के भ्रमित होने का
पथ से डिगने का
परिस्थितियों के अनुकूल व प्रतिकूल
होने का अर्थ जब तक
समझ में आए
उन्‍नति की राह पर बाधक
हम स्‍वयं अपने बनें
उनसे सीखने का समझने का
मार्ग हम चुन लें जब भी
मंजिल पे पहुंचने से
हमें कोई रोक नहीं सकता  ...
हथेली को जब भी बन्‍द करता
सोचता मुट्ठी खाली है
फिर भी ये ताकतवाली है
किसी को क्‍या पता
यह खाली है या इसके अन्‍दर बंद हैं मेरी
किस्‍मत की लकीरें
या फिर विश्‍वास का वो रूप
जो मेरे कांधे पर
तुम्‍हारे हांथ की तरह ठहरा है .......

28 टिप्‍पणियां:

  1. बंद मुट्ठी में लकीरें और विश्वास ...बहुत सुंदर रचना ...

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  2. बहुत सुन्दर....
    आत्विश्वास से भरी रचना .......

    सस्नेह.

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  3. यह खाली है या इसके अन्‍दर बंद हैं मेरी
    किस्‍मत की लकीरें
    या फिर विश्‍वास का वो रूप
    जो मेरे कांधे पर
    तुम्‍हारे हांथ की तरह ठहरा है .......

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति,भावपूर्ण सुंदर रचना,...

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: बसंती रंग छा गया,...

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  4. आप हैं किधर मैडम ....?
    हम तो आपका विमोचन में इन्तजार ही करते रहे .....

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  5. क्या बात है ....
    आज तो मुठी तनी तनी है .....:))

    बहुत सुंदर लिखा ....:))

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  6. बहुत खूब.. उत्साह, बंद मुट्ठी, किस्मत की लकीरें.. सब कुछ एक साँस में बयान कर दिया!!

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  7. सच कह है ... उत्साह और वो भी सही दिशा में हो तो सफलता जरूर मिलती है ... अच्छी रचना है ...

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  8. मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं....

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  9. भावपूर्ण सुंदर रचना,...
    सदा जी,...आप ने पोस्ट पर आना ही बंद कर दिया,जब कि मै आपका नियमित पाठक हूँ..


    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: बसंती रंग छा गया,...

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  10. सोचता मुट्ठी खाली है
    फिर भी ये ताकतवाली है
    किसी को क्‍या पता
    यह खाली है या इसके अन्‍दर बंद हैं मेरी
    किस्‍मत की लकीरें
    अपने भावो को बहुत सुंदरता से तराश कर अमूल्य रचना का रूप दिया है.

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  11. उत्तम रचना।
    पाठक को सोचने के लिये
    विवश करने वाली अभिव्यक्ति।
    साधुवाद।

    आनन्द विश्वास

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  12. कांधे पर रखा हाथ विश्वास है या किस्मत की लकीरें ...
    जो भी है उस ईश्वर के करीब !
    बहुत सुन्दर !

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  13. विश्वास से लकीरें स्वतः नया आकार गढ़ लेती हैं।

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  14. मेरे कांधे पर तुम्‍हारे हांथ
    mile jo tumhaaraa saath
    badhegaa vishvaas

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  15. किसी को क्‍या पता
    यह खाली है या इसके अन्‍दर बंद हैं मेरी
    किस्‍मत की लकीरें
    या फिर विश्‍वास का वो रूप
    जो मेरे कांधे पर
    तुम्‍हारे हांथ की तरह ठहरा है ......waah! bahut umda

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  16. विश्वास का नाम ही लकीर है जब वह खिंच जाती है. सुंदर रचना है.

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  17. वैचारिक ताजगी लिए हुए रचना अच्छी लगी।

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  18. जोश और होश का अदभुत संगम...

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  19. हथेली को जब भी बन्‍द करता
    सोचता मुट्ठी खाली है
    फिर भी ये ताकतवाली है
    किसी को क्‍या पता
    यह खाली है या इसके अन्‍दर बंद हैं मेरी
    किस्‍मत की लकीरें
    या फिर विश्‍वास का वो रूप
    जो मेरे कांधे पर
    तुम्‍हारे हांथ की तरह ठहरा है

    ....लाज़वाब सार्थक सोच...बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..

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  20. मार्ग हम चुन लें जब भी
    मंजिल पे पहुंचने से
    हमें कोई रोक नहीं सकता ...
    एक प्रेरक रचना। नसों में नया खून दौड़ने लगा हो जैसे।

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  21. उत्‍साह यदि अच्‍छे-बुरे का ज्ञान भी
    साथ लेकर चले तो
    कदम सार्थक हो सकते हैं ..

    बहुत खूब!

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