बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

ज़ाने क्‍यूँ ....????


















मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,
तुम्‍हारे आस-पास से
उन ख्‍यालों को खड़ा कर दूंगी
तपती धूप में
सूख जाएंगे वे इस कदर
कि उन्‍हें जब चाहे
तोड़ा जा सकेगा
आसानी से तिनके की तरह
उंगलियों के बीच पोरों में दबाकर
बिल्‍कुल सही समझा तुमने
वही पोर जिनसे हम
कभी ऐसे पलों में पोछ लेते हैं
आंसुओं को ....

सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
जाने क्‍यूँ सब से
ज्‍यादा हो जाती थी
जब कोई तुझसे ये शिकायत  करता था
तुझे मुझसे बहुत प्‍यार है
मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
कभी तो शायद
उसका ये भरम टूट जाता ...

यादों में निशानियाँ  रखना है
तो सीख ले
ये हुनर दिल से
करीने से सजी यादों के
बीच खुद तन्‍हा हो जाता है
और देखता रहता है
हर याद को
किसी मूक दर्शक की तरह
जैसे कोई
चलचित्र हो रज़तपट  पर वो जिन्‍दगी का ...

31 टिप्‍पणियां:

  1. ....अहसास जगा दिए आपने कोमल भावों से परिपूर्ण सुंदर प्रस्तुति आपकी कविता पसंद आयी
    शब्द कभी कभी शब्द कम पड़ जाते हैं प्रतिक्रिया देते हुए.....

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  2. मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,

    वाकई कोमल अहसासों को करीने से सजाया है।

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  3. बेहद खूबसूरत भाव संजोये हैं।

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  4. तुम्‍हारे आस-पास से
    उन ख्‍यालों को खड़ा कर दूंगी
    तपती धूप में
    सूख जाएंगे वे इस कदर
    कि उन्‍हें जब चाहे
    तोड़ा जा सकेगा ...

    मन की कोमल जज्बात जब बहते हैं तो रुकते नहीं ... ख्यालों को तोड़ने से कभी कभी जीवन भी टूट जाता है ...

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  5. करीने से सजी यादों के
    बीच खुद तन्‍हा हो जाता है
    और देखता रहता है
    हर याद को
    किसी मूक दर्शक की तरह

    गहन अभिव्यक्ति

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  6. करीने से सजी यादों के
    बीच खुद तन्‍हा हो जाता है
    और देखता रहता है
    हर याद को
    किसी मूक दर्शक की तरह
    जैसे कोई
    चलचित्र हो रज़तपट पर वो जिन्‍दगी का ...ye lines prabhawit karti hain...

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  7. बहुत खूब सदा जी शानदार है पोस्ट और तस्वीर भी बहुत प्यारी है......एक बात की आपका ब्लॉग खुलने में काफी वक़्त लेता है हो सके तो कुछ विजेट कम करे उससे लोड कम होगा|

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  8. करीने से सजे यादों के अहसासों की प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी.,

    welcome to my post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....

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  9. करीने से सजी यादों के
    बीच खुद तन्‍हा हो जाता है
    और देखता रहता है
    हर याद को
    किसी मूक दर्शक की तरह
    जैसे कोई
    चलचित्र हो रज़तपट पर वो जिन्‍दगी का ...
    yaadon kaa safar kabhee khatm nahee huaa naa hogaa,kabhee rulaataa kabhee hansaataa

    जवाब देंहटाएं
  10. यादों में निशानियाँ रखना है
    तो सीख ले
    ये हुनर दिल से
    करीने से सजी यादों के
    बीच खुद तन्‍हा हो जाता है
    और देखता रहता है
    हर याद को

    ....लाज़वाब कोमल अहसास ...बहुत उत्क्रष्ट प्रस्तुति ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  11. सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
    जाने क्‍यूँ सब से
    ज्‍यादा हो जाती थी
    जब कोई तुझसे ये शिकायत करता था
    तुझे मुझसे बहुत प्‍यार है
    मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
    कभी तो शायद
    उसका ये भरम टूट जाता ...

    बहुत बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
    सस्नेह.

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  12. वाह! बेहद सुन्दर रचना....
    हार्दिक बधाई...

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  13. एहसास तपा कर तोड़ देने का बिम्ब जीवन के कितने निकट है...

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  14. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..बधाई

    नीरज

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  15. मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,.....अहसासों को खुबसूरत अभिवयक्ति.....

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  16. बहुत ही सुन्दर रचना ..प्रभावशाली है इसका लिखा हर शब्द.

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  17. वैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।

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  18. बेहतरीन अहसास।
    सुंदर रचना।

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  19. zindagi mein na jaane kaise kaise ehsaas hote hain ki dil mein dard thahar jata hai...behad bhaavpurn rachna, shubhkaamnaayen.

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  20. sada ji
    bahut hi gahan bhav liye hai aapki prastuti
    hamesha ki tarah ------shandaar
    poonam

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  21. मैं समेट लूंगी अपने अहसासों को,
    तुम्‍हारे आस-पास से
    उन ख्‍यालों को खड़ा कर दूंगी
    तपती धूप में
    सूख जाएंगे वे इस कदर
    कि उन्‍हें जब चाहे
    तोड़ा जा सकेगा
    आसानी से तिनके की तरह
    उंगलियों के बीच पोरों में दबाकर....

    कोमल मन के मजबूत एहसास

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  22. पढ़कर अच्छा लगा ,बेहतरीन
    kalamdaan.blogspot.in

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  23. बेहद खूबसूरत।
    पढ़कर अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  24. सख्तियां तेरी मुझ पे हर बार
    जाने क्‍यूँ सब से
    ज्‍यादा हो जाती थी
    जब कोई तुझसे ये शिकायत करता था
    तुझे मुझसे बहुत प्‍यार है
    मेरी सज़ाओं को देखता वो आकर
    कभी तो शायद
    उसका ये भरम टूट जाता ...
    ...........
    कविता का एक एक शब्द अनूठा है दिल को छूने वाला ..वाह सदा जी !!

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