सोमवार, 14 नवंबर 2011

हंसी को आजाद करते हैं .... !!!

  तुम्‍हारे और मेरे बीच
यह खामोशी क्‍यूं
आपस में हमारी कोई
ऐसी बात भी
नहीं हुई
जो तुम्‍हें और मुझे
बुरी लगी हो ...
फिर यह
पहल करने का
अहम बेवजह ही पाल लिया था
मन ने
कौन समझाएगा
अब मन को
छोटी-छोटी बातें
बेमतलब की करके
हंस लिया करते थे
वो हंसी बेकरार है
मेरे तुम्‍हारे अहम के पीछे
तुम गुमसुम हो
तुम्‍हारा चेहरा देख कर
मैं भी खामोश हूं
ऐसा करते हैं भूल जाते हैं
अहम को
हंसी को आजाद करते हैं
आओ कुछ कहने की
शुरूआत करते हैं ....
तुम्‍हें पता है
मैने कहीं पढ़ा था
उंगलियों के मध्‍य
ये रिक्‍त स्‍थान
क्‍यूं रहता है ?
वो इसलिए की
जब हम एक दूसरे का
हांथ थामें तो
उसमें मजबूती कायम रहे :)
बस यही मुस्‍कान
तुम्‍हारे चेहरे पे
भली लगती है
कैद होकर हंसी भी
सच मानो
बिल्‍कुल नमक की डली लगती है .... !!!

32 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा करते हैं भूल जाते हैं
    अहम को
    हंसी को आजाद करते हैं
    आओ कुछ कहने की
    शुरूआत करते हैं ....
    Wah! Kaash,har koyee is tarah soche!

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  2. वो इसलिए की
    जब हम एक दूसरे का
    हांथ थामें तो
    उसमें मजबूती कायम रहे :)

    बहुत सुन्दर भावों से सजी अच्छी प्रस्तुति ..मजबूती कायम रहे

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  3. बहुत बढ़िया,बहुत अच्छी कृति ।

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  4. वो इसलिए की
    जब हम एक दूसरे का
    हांथ थामें तो
    उसमें मजबूती कायम रहे :)
    बहुत खूब .. बहुत सुन्दर

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  5. सच मानो
    बिलकुल नमक की डली लगती है..
    सुंदर भावो से लिखी बढ़िया पोस्ट ..
    नए पोस्ट पर स्वागत है ....

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  6. कैद होकर हंसी भी
    सच मानो

    बिल्‍कुल नमक की डली लगती है

    बहुत ही सुन्दर भाव हैं ..

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  7. namkeen waise bhee mujhe bahut pasand hai
    chaahe namak kee dalee hee ho

    sundar

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  8. बेहतरीन ढंग से प्रस्‍तुत किया आपने मनोभावों को।
    सुंदर। सार्थक।

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  9. बस यही मुस्‍कान
    तुम्‍हारे चेहरे पे
    भली लगती है
    कैद होकर हंसी भी
    सच मानो
    बिल्‍कुल नमक की डली लगती है .... !!!
    वाह सदा जी आज तो अपने निशब्द करदिया शानदार प्रस्तुति .....

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  10. वाह: बहुत सुन्दर भावों से सजी भावमयी प्रस्तुति ...बहुत बढ़िया

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  11. नमक की डली से आपका स्वागत इस सुंदर भावमयी प्रस्तुति.

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  12. इस रचना में आपने बिलकुल नई सोच के साथ अपनी बात रखी है।

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  13. एक अलग अंदाज़ में बेहतरीन रचना.....

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  14. नमक की डली.........बहुत सुन्दर बिम्ब का प्रयोग किया है ........शानदार|

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  15. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    यदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
    बालदिवस की शुभकामनाएँ!

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  16. बहत जरुरी है अहेम को किनारे रखना
    वरना रिश्ते बिगड़ जाते हैं

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  17. arey wah ye fingers gap wali baat to aaj pata chali :)

    bahut sunderta se pesh kiya hai man ki halchal ko.

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  18. कभी कभी दूर होना भी तो रिश्तों में मजबूती लाता है ... बहुत खूब ...

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  19. बहुत बढ़िया,भावमयी प्रस्तुति

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  20. बस यही मुस्‍कान
    तुम्‍हारे चेहरे पे
    भली लगती है
    कैद होकर हंसी भी
    सच मानो
    बिल्‍कुल नमक की डली लगती है .... !!!

    आपकी हलचल से यहाँ चले आये जी.
    खूबसूरत प्रस्तुति मन को बहुत भाये जी.
    कैद करना हँसी का अच्छा नही,
    ज्यादा नमक से सुना है 'हाई ब्लडप्रेशर' हो जाता है जी.

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  21. उंगलियों के मध्‍य
    ये रिक्‍त स्‍थान
    क्‍यूं रहता है ?
    वो इसलिए की
    जब हम एक दूसरे का
    हांथ थामें तो
    उसमें मजबूती कायम रहे :) bahut badhiya

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