गुरुवार, 2 जून 2011

शब्‍द हथियार मेरे हैं ...













मैं
चल दिया करता जब भी अमन की राह पे,
हर कदम पे अपने दुश्‍मन तैयार करता था ।

पूछा करता था उनसे ही फिर भी मैं हंसकर,
यारो बताओ तुम्‍हारा क्‍या लिया करता था ।

फासले दिलों के मिटा कर नजदीकियां लाया,
बस इक यही गुनाह मैं सरेआम करता था ।

मेरी कलम के शब्‍द हथियार मेरे हैं जिनसे मैं,
खामोश रह कर भी वार कर लिया करता था ।

सत्‍य की लड़ाई लड़ता हूं तो क्‍या गुनाह भला,
अपने सर बांध के कफ़न ही निकला करता था ।

32 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है आपने.

    सादर

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  2. सच की राह बहुत कठिन है ...बहुत उम्दा लेखनी

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  3. सत्‍य की लड़ाई लड़ता हूं तो क्‍या गुनाह भला,
    अपने सर बांध के कफ़न ही निकला करता था
    satya kee rah pe to kafan bandh kar hi nikalna padta hai.bahut sarthak abhivyakti.

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  4. सुन्दर रचना ! सत्य का डगर कठिन होता है ...

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  5. बहुत कठिन है ड्गर पनघट की ……………सत्य की राह यूँ ही पार नही होती।

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. सुन्दर अभिव्यक्ति ..सत्य की लड़ाई लडनी ही कठिन होती है

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  8. बहुत कमाल के शेर हैं सब ... सच है अमन की राह आसान नही होती ...

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  9. shabd hain hathiyaar ...sach ki ladai ...bahut achchhe vichar hain aapki is rachna me.. bahut sundar

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  10. सच की लड़ाई शब्द के शस्त्र से. सुदंर कविता.

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  11. बहुत बढ़िया लिखा है आपने.

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  12. जब सत्य का वरण कर लिया तब असत्य से क्या घबराना।

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  13. बहुत ही सुंदर ....प्रभावित करती पंक्तियाँ रची हैं...

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  14. भावनाओं का बहुत सुंदर चित्रण . ...बधाई.

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  15. मेरी कलम के शब्द हथियार मेरे हैं, जिनसे मैं
    खामोश रहकर भी वार कर लिया करता था.
    ....वाह!... क्या बात है.... बहुत खूब!
    ---देवेंद्र गौतम

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  16. भावों की अभिव्यक्ति!! सुंदर

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  17. सुंदर भाव पूर्ण रचना |बधाई |
    आशा

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  18. कमाल का लिखा है..सुन्दर रचना

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  19. सत्य कि राह आसान नहीं. सुंदर अभिव्यक्ति. भावपूर्ण रचना. कमाल लेखन.

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  20. सच रह कठिन है मगर सचाई और शांति देती है ...
    बहुत सुन्दर रचना
    आभार
    कोरल

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  21. सत्य की राह पर विरले ही चलते हैं। और जो निकल पड़ते हैं वे पीछे मुड़कर नहीं देखते।

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  22. bahut sundar saty ka marg kayhhin jarur hai magr himmat sath ho to aasan hai

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  23. sada ji
    bahut hi beintaha v lajwab rachna likhi hai aapne jo yatharth ke bahut hi nikat mahsus hoti hai .
    bilkul saty ----kalam ek aisa jabardast hathiyar hai jiske samne talwar ki dhar bhi kam pad jaati hai .
    bahut hi sundar prastuti ----
    hardik badhai
    poonam

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  24. सुन्दर अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर रचना

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