गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

भीगी यादें ....













कभी भी,

परखना नहीं आया

मुझे प्रीत को,

करके प्रीत निभाने में

यकीं किया है

सदा मैने ...।

मेरे दिल के

हर हिस्‍से में तुम्‍हारी

यादों की तस्‍वीरें

करीने से सजी थीं,

जब भी वे

तेरे दिल के

एक कोने में पड़ी याद को

दस्‍तक देती

तो तुम्‍हारा दिल

हाई सोसायटी के

लोगों की तरह

चारों तरफ देखता

और कहता

नहीं सब देख रहे हैं,

मैं मीटिंग में

व्‍यस्‍त हूं खाली होकर

मिलता हूं

तुम्‍हारे देर रात,

खाली हुए दिल में

सिर्फ व्हिस्‍की से भीगे

लफ्ज होते थे,

मेरी अश्‍कों से

भीगी यादें

उनके करीब जाने से

पहले दम तोड़ देती थीं ...।

33 टिप्‍पणियां:

  1. Kaheen ye mere jeevan ke bareme to nahee likh diya tumne? Yahee to ek samvedansheel dilkee "universality" hai!Sabhee ko usme apna aks nazar aata hai!

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ! सदा जी,
    इस कविता का तो जवाब नहीं !
    ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

    जवाब देंहटाएं
  3. लड़कियां प्यार करके एक दुनिया अपने हाथों से बना लेती हैं
    सपनों की दुनिया - जहाँ पतझड़ आता नहीं बसंत जाता नहीं
    और बसंत बस लड़कियों में होता है

    जवाब देंहटाएं
  4. दिल के कोमल भावो को बडी खुबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने
    सुन्दर कविता
    शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  5. ओह! क्या कहूँ …………निशब्द कर दिया……………गज़ब की अभिव्यक्ति है……………बेहतरीन्।

    जवाब देंहटाएं
  6. कमाल कर दिया सदा जी --'मेरे दिल के हर हिस्से में तुम्हारी यादो की तस्वीर करीने से सजी हे ' वाह ! बेहद खूब सुरत कलाम ! बधाई --

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही मार्मिक रचना है आज की!
    बहुत ही सटीक व सार्थक लेखन और नपे तुले शब्दों के साथ!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर भावमयी प्रस्तुति.
    सलाम

    जवाब देंहटाएं
  9. प्रीत करके ही परखी जाती है,बिना किए हम कैसे परख सकते हैं।
    *
    अच्‍छी कविता है।
    *
    कविता में तेरे और तुम्‍हारे दोनों का प्रयोग हुआ है। किसी एक का प्रयोग करें तो कविता और बेहतर होगी।

    जवाब देंहटाएं
  10. priya shreshthh,

    bahut sundar kavya .kathya ki gahrayiyan ,shabdon ke madhyam ,anupurak ho chale hain .
    dhanyavad.

    जवाब देंहटाएं
  11. मार्मिक तथा संवेदनाओं से ओत-प्रोत रचना.

    जवाब देंहटाएं
  12. जब प्रीत निभाने में यक़ीन किया है तो दर्द कैसा ! प्रेम के पहले उसे परखना भी संभव नहीं।
    मनोभावों की बहुत अच्छी अभिव्यक्ति । बहुत अच्छी लगी आपकी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  13. दिल को छू लेने वाली अभिब्यक्ति| धन्यवाद्|

    जवाब देंहटाएं
  14. कहीं अन्दर तक दिल को छू गयी ये अभिव्यक्ति। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  15. dil ke bhaavon ko sahaj hi likh diya hai aapne ... par ye baaten kuch logon ko samajh nahi aati ...

    जवाब देंहटाएं
  16. ज़िंदगी की भाग-दौड़ तथा व्यावसायिक प्रगति के लिए अथक प्रयासों में प्यार बेगाना होते जा रहा है। आधुनिक जीवनशैली को दर्शाती एक सुंदर एवं सामयिक रचना।

    जवाब देंहटाएं
  17. दर्द भरे एहसास ब्यान करती एक खुबसूरत रचना |

    जवाब देंहटाएं
  18. भावुक कर देने वाली बेहतरीन अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  19. यथार्थ की विलक्षण सत्यनिष्ठ अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  20. इतनी भीगी सी रचना कैसे रह गयी पढने से ? आज यशवंत जी की वजह से पढ़ने का मौका मिला ... अंतिम पंक्तियों के बाद कुछ नहीं रहता कि मैं कुछ लिख सकूँ इस रचना पर... दिल से महसूस कर रही हूँ :)

    जवाब देंहटाएं
  21. high society ke dil ka chitran bahut hi spashtTa se kiya hai. bahut prabhaavshali rachna.

    जवाब देंहटाएं
  22. बहुत ही खूबसूरत....
    शायद पहले कभी आपके ब्लॉग पर नहीं आ सकी...पता नहीं कैसे...

    जवाब देंहटाएं