गुरुवार, 23 जुलाई 2009

दो बूंद ...


दो बूंद जिन्‍दगी के

पोलियो की जंग में

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दो बूंद

वास्‍तव में

ये सिर्फ जिन्‍दगी से कहीं

बढ़कर होते हैं

आपने कभी देखा है

बच्‍चों की मुस्‍कराहट को,

वो जब इसे पीने जाते हैं,

कितना उत्‍साह होता है

उनमें आज हम

दो बूंद पीने जाएंगे

भइया को भी ले जाएंगे

खुशी व्‍यक्‍त करती उनकी मुस्‍कान

इन दो बूंदों से उनके

कदमों में रहता सारा जहान

11 टिप्‍पणियां:

  1. jindagi ko sawarati ye do boond sach me jindagi se bdhkar hai..ek nahi kitani jindagi sawar deti hai..
    sundar bhav..aur sundar kavita
    badhayi

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  2. सच कहा..... दो बूँद पोलीयो की.......... और दो बूँद पानी की.......... जीवन ओ कभी भी बचा सकती हैं

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  3. bahut hi sundar ehsas me piro diya hai is do bunda ko aapane........bahut hi badhiya

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  4. बहुत अच्छा लिखती है आप अच्छी लगी आपकी यह रचना भी ..शुक्रिया

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  5. इन दो बूंदों से उनके
    कदमों में रहता सारा जहान


    -बिल्कुल सही कहा!! सुन्दर संदेश!!

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  6. कदमो मे जहान भरने के लिये दो बून्द तो जरूरी है ही ---

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  7. शायद ये ब्लाग पहले मेरी नज़र से रह गया इस्ने तो कमाल की रचनायें हैं बहुत सुन्दरकविता है पोलियो अभियान सच मे ही बच्चों के लिये वरदान है बधाई

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  8. आप सबके स्‍नेह व सहयोग से ये ही संभव हो सका है आप सभी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद ।

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  9. इन दो बूंदों से उनके
    कदमों में रहता सारा जहान

    बहुत खूब,
    सामाजिक सरोकार...
    एक नए विषय की कविता...
    बधाई...

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