बुधवार, 15 जुलाई 2009

सब खुश होंगे ...

(1)

कोई फैसला
छोड़ दे
अगर तुम पर
एक हां का
एक न का
हां से
सब खुश होंगे
न से
सिर्फ तुम
क्‍या करोगे
हां
या फिर

से अपनी खुशी
लोगे खरीद ।

(2)
एक दिन ये काया
मिट्टी में
मिल जाएगी।

ये माया जग से
नेह की
छूट जाएगी ।

(3)
सारे सपने
अधूरे
सब के
नहीं रहते ।

सपने सब के
पूरे सच भी
नहीं होते ।

9 टिप्‍पणियां:

  1. सच्ची और अच्छी रचनाएँ...बहुत सुन्दर...
    नीरज

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  2. काफ़ी विचार करके अर्क उड़ेल दिया गया है कविताओं में !

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  3. antim ki panktiyan bahut hi sundar dang se likha hai ........yah sahi hai ......kuchh loga ke pure khwab nahi hote par ......par kuchh nasib wale hote hai ......sundar

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  4. सारी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं ,बधाई.

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  5. बिल्कुल सही कहा..यथार्थ उजागर करती रचनाऐं.

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  6. सारे सपने
    अधूरे
    सब के
    नहीं रहते ।

    सपने सब के
    पूरे सच भी
    नहीं होते

    Isi ka naam jeevan hai.......... sab kuch mil jaaye to jeena ka mazaa hi khatm ho jaayega....

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  7. सारे सपने
    अधूरे
    सब के
    नहीं रहते ।
    ====
    ज़िन्दगी के विरोधाभाष को बखूबी उकेरा है.

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