रविवार, 25 जनवरी 2015

तिरंगे का उत्‍सव !!


तिरंगे का उत्‍सव मनाता बचपन
फूलों की तरह मुस्‍काता बचपन ।

वीरों की गाथाओं का कर स्‍मरण,
शीष अपना हरदम झुकाता बचपन ।

वंदे मातरम् कह बुलंद आवाज में
तिरंगे के साये में इतराता बचपन ।

भारत माता की छवि लिये मन में,
विजय के गीत गुनगुनाता बचपन ।

नाउम्‍मीदी के हर दौर में भी सदा
बन के उम्‍मीद मुस्‍कराता बचपन ।





रविवार, 18 जनवरी 2015

कैसा ये रिश्‍ता है ....

विश्‍वास की मुट्ठी में
डर की उँगली
एक मुस्‍कान हौसले की लबों पर
सोचती हूँ
कैसा ये रिश्‍ता है
हार और जीत के पलों में
हौसले का
जो हर बार उम्‍मीद लिये
आँखों में पलता है
निराशा के रास्‍तों पर
बड़े ही जोश से
साथ-साथ चलता है!!!!

....