शनिवार, 28 जून 2014

बचाती हैं व्‍यक्तित्‍व को !!!!

कुछ रचनाएँ जन्‍म लेती हैं और
क़ैद होकर रह जाती हैं
डायरी के पन्‍नों में
उनके मर्म उनके अर्थों को
नहीं जान पाता कोई.
...
कितनी पीड़ा कितनी नसीहतों
को उकेरा था उजले पन्‍नों पर
इस काली स्‍याही ने
बड़े-बड़े इरादो को
समेटा था कुछ पंक्तियों में
और पहुँचाया था उन्‍हें बुलंदियों पर
कभी किसी यक़ीन के
टूटने पर उसके टुकड़ों की चुभन से
बचाया था तुम्‍हें
कतरा-कतरा बहने से पहले
दिया था हौसला भी जब
संभाला था खुद को तुमने
बिखरने से पहले.
....
रचनाओं में
जब बिखर जाते हैं शब्‍द
तब कई बार ये बचाती हैं
व्‍यक्तित्‍व को बिखरने से
सहेजती है अक्षरश:
दिखाते हुए उम्‍मीदों का आईना
रू-ब-रू होते हैं एहसास जहाँ
जिंदगी के रंगमंच पर
अपने संकल्‍पों के साथ 
बारी-बारी!!!!



शुक्रवार, 13 जून 2014

पूरा दिन ये बस आपके नाम!!!!

आपकी समझाइशों का सच
थाम के उँगली
मेरे साथ चलता है
परखने की आदत
मुझे मिली है आपसे
विरासत में
पितृ दिवस के दिन
कुछ स्‍मृतियाँ
मेरे इर्द-गिर्द
अपना घेरा बना के
आपके साथ हैं
और साथ रहेंगी भी !
....
रहते हैं हर छोटी-बड़ी बात पर
साथ आप हर ल़म्‍हा
पर दिवस विशेष
करता है आग्रह
आज का पूरा दिन ये

बस आपके नाम कर दूँ!!!!


रविवार, 1 जून 2014

जिंदगी के रंगमंच पर !!!


जिंदगी के रंगमंच पर लगाकर आईना जिंदगी ने,
हर लम्‍हा इक नया ही रंग दिखाया है जिंदगी ने ।

ख्‍वाब, हो ख्वाहिश हो या फिर हो कोई जुस्‍तजू,
कदमों का साथ हर मोड़ पे निभाया है जिंदगी ने ।

इंतजार हो हसरत हो या फिर हो कोई तमन्‍ना,
बड़ी साजिशों के बाद इनसे मिलाया है जिंदगी ने ।

रूठा हो मचला हो या फिर हुई हो कोई तक़रार,
भूल के सारी बातों को अपना बनाया है जिंदगी ने ।

जानती है जाना होगा रूह को छोड़ के सदा के लिए,
फिर भी बड़ी वफ़ादारी से इसे अपनाया है जिंदगी ने ।