तुम्हें सुकून मिलता होगा न
मौन से
खुद से खुद की कितनी ही बातें
कर लेना तुम्हारा
कभी मेरे शब्दों का मौन
ढूंढना तुम
वे तुम्हें पुकारते हुए मिलेंगे
तुम्हारे मेरे बीच यह मौन
यूं जैसे ...
गंगा जमुना की धाराओं के नीचे
सरस बहाव लिए सरस्वती
सच कहूं तो
मौन रहना तुम्हारा और मेरा
होता ही नहीं सार्थक
एक संवाद निरन्तर चलता रहता है ..
............................
आश्चर्य कैसा ...
इस मौन के संवाद करने पर
क्षणांश गंभीरता का
आवरण डाल निकलती तुम
मेरी पुकार को अनसुना करने के लिए
जब मन तुम्हारा साथ नहीं देता तो
तुम कानों को बंद करती हथेलियों से
फिर भी तुम्हारा मौन
एक प्रश्नचिन्ह छोड़ जाता
तुम विचलित हो
खुद से बातें करने को
विवश हो जाती ...
गूढ़ संवाद
जवाब देंहटाएंख़ामोशी बहुत कुछ ऐसा कह जाती है जिन्हें शब्द नहीं कह पाते| सुदर रचना...मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंसही है ....किसी विशेष परिस्थितियों में ख़ामोशी बहुत कुछ कह जाती है
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर सदा जी....
सादर.
बेहद गहन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह वाह बहुत बेहतरीन लिखा है आपने सदा जी
जवाब देंहटाएंयह मौन सरस्वती की धारा जैसा ...सरस्वती भी कहाँ दिखती है ..सटीक उपमा ... गहन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमौन हूँ मैं भी इस सुब्दर पोस्ट पर और शब्द नहीं है |
जवाब देंहटाएंKABHI KABHI MAUN BAHUT SHOR KARTA HAI.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआप को नव वर्ष की शुभकामनाएँ|
Sundar rachana!
जवाब देंहटाएंNaya saal bahut mubarak ho!
मौन रहना तुम्हारा और मेरा
जवाब देंहटाएंहोता ही नहीं सार्थक
एक संवाद निरन्तर चलता रहता है..waah bahut sundar..sahejane laayak panktiyan
NAV VARSH KI AGRIM SHUBHKAMNAAYEN..
मौन....सबकुछ समेटे अपने आप में...मौन...
जवाब देंहटाएंumdaa rachnaa
जवाब देंहटाएंसंवाद हीनता से हर रिश्ता टूटता
मौन बहुत मुखर होता हैं ,सुंदर रचना ......
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना !
जवाब देंहटाएंआभार !!
मेरी नई रचना
एक ख़्वाब जो पलकों पर ठहर जाता है
सदा जी सबसे पहले तो देर से आने के लिए माफी x -mas के चक्करों में थोड़ी व्यस्त हो गई थी इसलिए ज़रा देर हो गई आपकी पोस्ट पर आने में मगर अब आई हूँ तो सारी पढ़कर ही जाऊँगी :)
जवाब देंहटाएंकभी-कभी खामोशी ही बहुत कुछ ब्यान करदेती है जो न कभी होंट कह पते हैं और न ही कभी आँखें बोल पाती है बहुत ही सुंदर भाव से सुसजित कविता...
फिर भी तुम्हारा मौन
जवाब देंहटाएंएक प्रश्नचिन्ह छोड़ जाता
गहन चिंतन.... सुन्दर रचना...
सादर बधाई
क्या लिखूं निशब्द हो गई हूँ ...
जवाब देंहटाएंसच कहूं तो
मौन रहना तुम्हारा और मेरा
होता ही नहीं सार्थक
एक संवाद निरन्तर चलता रहता है ..
वाह
एक संवाद निरन्तर चलता रहता है ..
जवाब देंहटाएंसंवादयुक्त बस मौन .....
मौन रहते हुए भी बातें होती हैं......
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति।
नववर्ष की शुभकामनाएं.......
मौन रहना तुम्हारा और मेरा
जवाब देंहटाएंहोता ही नहीं सार्थक
एक संवाद निरन्तर चलता रहता है ..
Bahut khub...
बेहतरीन........आपको नववर्ष की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंकल 31-12-2011को आपकी कोई पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
bahut sunder rachna ...
बहुत सुंदर प्रस्तुती,सटीक उपमा, बेहतरीन रचना,.....
जवाब देंहटाएंनववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..
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....प्रशंसनीय रचना - बधाई
जवाब देंहटाएं.......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो
शुभकामनओं के साथ
संजय भास्कर
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
सादर
मौन बहुधा प्रश्न सुलझाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और बेहतरीन प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंआपसे ब्लॉग जगत में परिचय होना मेरे लिए परम सौभाग्य
की बात है.बहुत कुछ सीखा और जाना है आपसे.इस माने में वर्ष
२०११ मेरे लिए बहुत शुभ और अच्छा रहा.
मैं दुआ और कामना करता हूँ की आनेवाला नववर्ष आपके हमारे जीवन
में नित खुशहाली और मंगलकारी सन्देश लेकर आये.
नववर्ष की आपको बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
ये मौन निशब्द होकर भी मुखरित होता है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना नव वर्ष की शुभ कामनाये
कभी मेरे शब्दों का मौन
जवाब देंहटाएंढूंढना तुम
वे तुम्हें पुकारते हुए मिलेंगे
तुम्हारे मेरे बीच यह मौन
यूं जैसे ...
गंगा जमुना की धाराओं के नीचे
सरस बहाव लिए सरस्वती ....
......
ये अलग बात है कि इस सरस्वती को तुम हमेशा ही अपने प्रयासों से अदृश्य रखो
...बहुत गहरी कविता सदा जी !