कभी देखना हो
वक्त का सितम,
मेरी खामोशी को देख लेना ...
म़रहम़ प्यार का
मेरे दर्द को
जाने क्यूं खारे पानी में
तब्दील कर देता है ...
उसका बड़प्पन है ये तो
जो मेरे गु़नाहों को भी
हक़ का ओह़दा देता है ...
आईना पढ़ लेता है
मेरी आंखों में तुमको
इसलिए जाने कब से
देखा नहीं उसे ...
रूठकर गए थे तुम
इक बार तो
ये सोचा होता
मुझको मनाना नहीं आता ....
मुहब्बत लफ़्ज
बे़मानी हो जाएगा
जो तुमने
मुझ पे ए़तबार न किया ....
आईना पढ़ लेता है
जवाब देंहटाएंमेरी आंखों में तुमको
इसलिए जाने कब से
देखा नहीं उसे ...
रूठकर गए थे तुम
इक बार तो
ये सोचा होता
मुझको मनाना नहीं आता ....
Antarman ko chhoo lenewalee panktiyan! Bahut hee sundar rachana hai!
achchhi rachana..
जवाब देंहटाएंman ki gaharayi se likhi rachana bahut sundar
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..
जवाब देंहटाएंमुहब्बत लफ़्ज
जवाब देंहटाएंबे़मानी हो जाएगा
जो तुमने
मुझ पे ए़तबार न किया ....
- क्या बात है वाह बहुत सही लिखा है दीदी आप ने......दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत सुंदर पोस्ट,....अच्छी रचना,....
जवाब देंहटाएंनई रचना के लिए काव्यान्जलिमे click करे
रूठकर गए थे तुम
जवाब देंहटाएंइक बार तो
ये सोचा होता
मुझको मनाना नहीं आता...
वाह सदा जी..
बहुत सुन्दर.
achhi hai rachna ...
जवाब देंहटाएंम़रहम़ प्यार का
जवाब देंहटाएंमेरे दर्द को
जाने क्यूं खारे पानी में
तब्दील कर देता है ...
बहुत खूबसूरत |
बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसादर
सुन्दर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंBehad Khoobsurat Rachna ...
जवाब देंहटाएंDheron Subhkaamnayen..
सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!!
जवाब देंहटाएंyakeen uth jaataa hai jab
जवाब देंहटाएंkuchh samajh nahee aataa
sonaa bhee insaan ko
peetal nazar aataa
nice lines
कभी देखना हो
जवाब देंहटाएंवक्त का सितम,
मेरी खामोशी को देख लेना
ह्रदय को छूती हुयी रचना
मुहब्बत लफ़्ज
जवाब देंहटाएंबे़मानी हो जाएगा
जो तुमने
मुझ पे ए़तबार न किया .
प्यार में ऐतबार बहुत ज़रूरी है.
आईना पढ़ लेता है
जवाब देंहटाएंमेरी आंखों में तुमको
इसलिए जाने कब से
देखा नहीं उसे ...
...बहुत ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति...
कभी देखना हो
जवाब देंहटाएंवक्त का सितम,
मेरी खामोशी को देख लेना ...
एक कहानी कह दी आपने...इन चार शब्दों में...
सदा जी...
जवाब देंहटाएंशब्दों से बांदने में तो आप सिद्धस्त हैं....
नहीं मना पाएंगी उसको...
कभी न ऐसा रूठा होता...
दर्द न होता ऐसा उसको...
वो तो भ्रम में जलता होगा...
तिल तिल रोज़ सुलगता होगा...
राख हुए मन में भी तुझको..
देख रोज़ ही मरता होगा...
वाह....
दीपक शुक्ल...
मुहब्बत लफ़्ज
जवाब देंहटाएंबे़मानी हो जाएगा
जो तुमने
मुझ पे ए़तबार न किया .... bahut sunder panktiya .....
इस रचना ने दिल को छुआ!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत... thanks!
जवाब देंहटाएंकोमल भावो की बेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत....बेहतरीन अभिवयक्ति.....
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत प्रस्तुति,सादर.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर भी पधार कर अनुगृहीत करें.
आह..........
जवाब देंहटाएंचाह..........
वाह..........
बात बाहर की हो,तो अविश्वास और भीतर की हो,तो विश्वास का सहारा ही सम्यक्।
जवाब देंहटाएंम़रहम़ प्यार का
जवाब देंहटाएंमेरे दर्द को
जाने क्यूं खारे पानी में
तब्दील कर देता है ...
बहुत खूबसूरती से लिखा है ... बहुत खूब
म़रहम़ प्यार का
जवाब देंहटाएंमेरे दर्द को
जाने क्यूं खारे पानी में
तब्दील कर देता है ..
और ये खारा पानी उनकी मुहब्बत के मरहम से ही तो निकलता है ... फिर न एतबारी उल्हाना क्यों ...
सुंदर अभिव्यक्ति की बहुत अच्छी रचना,...बेहतरीन पोस्ट...
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--"बेटी और पेड़"--में click करे
बहुत खूबसूरती से लिखा ...बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंman ki vyatha...
जवाब देंहटाएंआईना पढ़ लेता है
मेरी आंखों में तुमको
इसलिए जाने कब से
देखा नहीं उसे ...
bahut sundar rachna, badhai.