बेड़ियां पैरों में हों तो,
तकलीफ होती है
चलने में ...
गर ख़्यालों में
लगानी पड़े जब बेड़ियां
जिंदगी मायूस हो जाती है
कै़द में रहकर
ग़ुनाह का अहसास मन को
कचोटता है ...
अपनी ही धड़कन के स्व़र
कुरेदते हैं जख़्मों को
आह होठों को छूकर धीमे से
सिसकी में बदलती है जब
रूह आ़हत सी
जाने किस चाहत की
सज़ा पाती है
नज़र झुकाओ जब भी बस वो
सज़दे में दिखती है ...
दुआओं पे जब
हर इक लम्हा बसर होता है
ख़ुद पे अपनी ही
सांसो का क़हर होता है ...
सज़ा का तलबग़ार मन
तेरे सुकू़न की खा़तिर
हर जु़र्म का
इस्तेक़बाल करता है ...
ये कहते हुए ..
गर ख़्यालों में
लगानी पड़े जब बेड़ियां तो
जिंदगी मायूस हो जाती है
वहां हंसी खामोशी हो जाती है .....!!!
आध्यात्मिक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंअन्तःस्थिति को दर्शाती एक अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने, बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंकविता का भाव और प्रस्तुतिकरण बेजोड़
बेड़ियां पैरों में हों तो,
तकलीफ होती है
चलने में ...
गर ख़्यालों में
लगानी पड़े जब बेड़ियां
जिंदगी मायूस हो जाती है
बेमिसाल..
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर रचना..
"सज़ा का तलबग़ार मन
तेरे सुकू़न की खा़तिर
हर जु़र्म का
इस्तेक़बाल करता है ...
बहुत खूब ...
गर ख़्यालों में
जवाब देंहटाएंलगानी पड़े जब बेड़ियां
जिंदगी मायूस हो जाती है
सच को कहती अच्छी प्रस्तुति
गर ख़्यालों में
जवाब देंहटाएंलगानी पड़े जब बेड़ियां तो
जिंदगी मायूस हो जाती है
वहां हंसी खामोशी हो जाती है ...!!!
.....जीवन का सन्देश देती है आपकी रचना
बहुत अच्छी कविता दी ! बहुत कुछ दिया सोचने के लिये।
जवाब देंहटाएंये कहते हुए ..
जवाब देंहटाएंगर ख़्यालों में
लगानी पड़े जब बेड़ियां तो
जिंदगी मायूस हो जाती है
वहां हंसी खामोशी हो जाती है .....!!
अध्यात्म और यथार्थ दोनो का बोध कराती सुन्दर रचना।
बेड़ियाँ तो सदा कष्टकारी होती हैं।
जवाब देंहटाएंबेड़ियां पैरों में हों तो,
जवाब देंहटाएंतकलीफ होती है
चलने में ...
गर ख़्यालों में
लगानी पड़े जब बेड़ियां
जिंदगी मायूस हो जाती है
Kya baat kahee aapne! Bahut sashakt rachana!
बहुत खूबसूरत अहसास |
जवाब देंहटाएंबेडियाँ पैरों में हो तो तकलीफ होती है चलने में,..सुंदर पन्तियाँ,
जवाब देंहटाएंभावो का खुबशुरत अहसाश,...
मेरे नये पोस्ट लिए काव्यान्जलि..: महत्व .. में click करे
bahut hi gahre manobhaw
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहती सुंदर रचना ....
जवाब देंहटाएंवाह...कमाल की नज़्म कही है आपने...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
बेहद सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंखुबसूरत एहसासों के साथ ही बेहतरीन रचना .....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत शब्दों से सजी रचना
जवाब देंहटाएंbemisal aur gehen abhivyakti.
जवाब देंहटाएंगर ख़्यालों में
जवाब देंहटाएंलगानी पड़े जब बेड़ियां
जिंदगी मायूस हो जाती है
Bahut Sunder
बेहतरीन सीख है इस रचना में।
जवाब देंहटाएंsundar bhav , sundar ahsas..
जवाब देंहटाएंbehtarin rachana...
ख्यालों पर जब हो बेड़ियाँ तो ख़ुशी को खामोश होना होता ही है !
जवाब देंहटाएंमार्मिक !
सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंखूबसूरत शब्दों के साथ बेहतरीन रचना ...
आभार !!
मेरी नई रचना ख्वाबों में चले आओ
मन की अंतर्व्यथा को शब्द देती ...सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंग़ुनाह का अहसास मन को
जवाब देंहटाएंकचोटता है ...
अपनी ही धड़कन के स्व़र
कुरेदते हैं जख़्मों को
आह होठों को छूकर धीमे से
सिसकी में बदलती है जब
रूह आ़हत सी
जाने किस चाहत की
सज़ा पाती है
जीवन की सच्चाई को ब्यान करती बहुत ही समवेदन शील प्रस्तुति दिल चूलीय आपकी इस रचना ने आभार