मुझे कुछ खरीददारी करनी है
कुछ की कीमत पता करनी है
सोचती हूं सबसे पहले
दोस्ती की कीमत का पता करूं
फिर उसके साथ
वफा का सौदा कर लूगी ...!
दूर है ठिकाना
अपनो का आओ
एक रिश्ता बना लेती हूं नया
उसके साथ चलूंगी
उसी तरह
जिस तरह वो चलेगा मेरे साथ
कोई शर्मिन्दगी नहीं होगी
आपस में सारी शर्तें
पहले ही तय कर लेंगे हम
वो मेरे बुरे वक्त में साथ होगा
तो मैं उसके बुरे वक्त में
दौड़ के पहुंच जाऊंगी उसके पास
खुशी के मौके पर
उसके बुलाने की प्रतीक्षा नहीं करूंगी फिर
लेकिन अभिमान को छोड़ना होगा
उसी दुकान पर तभी तो
मुस्कान के बदले हंसी दे सकूंगी
किसी बेगाने को
आंसुओ को सूखने के लिए
छोड़ दिया है जिद करके
सूखे रूमाल के बीच...!!
एक तह लगाकर रख लिया है
मुट्ठी में उसी तरह
जैसे मन को कड़ा करके
तोड़ता है गुलों को गुलशन से माली
देव प्रतिमा पे चढ़ाने के लिए .... !!!
कुछ की कीमत पता करनी है
सोचती हूं सबसे पहले
दोस्ती की कीमत का पता करूं
फिर उसके साथ
वफा का सौदा कर लूगी ...!
दूर है ठिकाना
अपनो का आओ
एक रिश्ता बना लेती हूं नया
उसके साथ चलूंगी
उसी तरह
जिस तरह वो चलेगा मेरे साथ
कोई शर्मिन्दगी नहीं होगी
आपस में सारी शर्तें
पहले ही तय कर लेंगे हम
वो मेरे बुरे वक्त में साथ होगा
तो मैं उसके बुरे वक्त में
दौड़ के पहुंच जाऊंगी उसके पास
खुशी के मौके पर
उसके बुलाने की प्रतीक्षा नहीं करूंगी फिर
लेकिन अभिमान को छोड़ना होगा
उसी दुकान पर तभी तो
मुस्कान के बदले हंसी दे सकूंगी
किसी बेगाने को
आंसुओ को सूखने के लिए
छोड़ दिया है जिद करके
सूखे रूमाल के बीच...!!
एक तह लगाकर रख लिया है
मुट्ठी में उसी तरह
जैसे मन को कड़ा करके
तोड़ता है गुलों को गुलशन से माली
देव प्रतिमा पे चढ़ाने के लिए .... !!!
बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
लेकिन अभिमान को छोड़ना होगा
जवाब देंहटाएंउसी दुकान पर तभी तो
मुस्कान के बदले हंसी दे सकूंगी
किसी बेगाने को
आंसुओ को सूखने के लिए
छोड़ दिया है जिद करके
सूखे रूमाल के बीच...!!
बहुत सुंदर ....
सुन्दर भाव्।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ! दिल से लिखी है !
जवाब देंहटाएंमुट्ठी के बीच सूखे रुमाल में आंसुओं को रखना ..गज़ब की अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंतब तो उस दूकान से बेशकीमती खरीदारी की जा सकती है खुद को बेच कर ..बहुत ही प्यारी रचना .
जवाब देंहटाएंवाह दीदी वाह ....गज़ब के भाव और गज़ब की प्रस्तुति......आभार इस प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंItnee gahrayee hai is rachana me ki samajh me nahee aa raha kya kahun...alfaaz mil nahee rahe...
जवाब देंहटाएंbahut sundar bhaaw hai is rachna ke pasand aayi bahut yah shukriya
जवाब देंहटाएंअभिमान तो छोड़ना ही होगा, तभी मान मिलेगा।
जवाब देंहटाएंजिसके पास इन सबकी दुकान हो, वही बता पायेगा इनकी कीमत।
जवाब देंहटाएंमुझे कुछ खरीददारी करनी है
जवाब देंहटाएंकुछ की कीमत पता करनी है
सोचती हूं सबसे पहले
दोस्ती की कीमत का पता करूं
फिर उसके साथ
वफा का सौदा कर लूगी ...!
dosti kee is kimat me mann ka bikhraw hai , bahut achhe se likha hai
क्या बात है सदा जी आपने तो मन छू लिया... बहुत ही शानदार,बेहतरीन और क्या कहूँ शब्द ही नहीं मिल रहे हैं लाजवाब प्रस्तुति आज आपको आपने दो लिंक्स send कर रही हूँ हो सके और यदि आपको समय मिले कभी तो ज़रूर आयेगा मेरे दूसरे ब्लॉग पर भी
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
http://aapki-pasand.blogspot.com/2011/12/blog-post_07.html
बहुत सुंदर भाव की रचना
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी मासूम सी अभिव्यक्ति .......
जवाब देंहटाएंजिस दिन दोस्ती की कीमत पता करेंगी ... उसी दिन दोस्ती खत्म हो जायगी ... अच्छी रचना है बहुत ...
जवाब देंहटाएंbahut khoob...
जवाब देंहटाएंगजब के भावों की बेहतरीन प्रस्तुति सुंदर पोस्ट.....
जवाब देंहटाएंbahut sundar saarthak bhaav.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना ...
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल आज 08 -12 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज... अजब पागल सी लडकी है .
Behtareen...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
उसके बुलाने की प्रतीक्षा नहीं करूंगी फिर
जवाब देंहटाएंलेकिन अभिमान को छोड़ना होगा ...bahut sunder line...waah !
"दोस्ती की कीमत का पता करूं
जवाब देंहटाएंफिर उसके साथ
वफा का सौदा कर लूगी ...!"
इन पंक्तियों ने सामाजिकता की पूरी कथा कह दी है. वाह!
बहुत सुन्दर प्रविष्टि...बधाई
जवाब देंहटाएंशर्त बीच में आई कि प्रेम गया समझिए..........
जवाब देंहटाएंवाह बेहतरीन सौदेबाजी...
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
गहरे भाव.....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
"दोस्ती की कीमत का पता करूं
जवाब देंहटाएंफिर उसके साथ
वफा का सौदा कर लूगी ...! बहुत गहरे भाव है.....
बहुत खुबसूरत अहसास|
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच-722:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
लेकिन दोस्ती की और रिश्तों की नतो कोई कीमत होती है
जवाब देंहटाएंऔर न ही कोई शर्त ..बस अभिमान को छोड़ने से ही बात बन जायेगी
आंसुओ को सूखने के लिए
जवाब देंहटाएंछोड़ दिया है जिद करके
सूखे रूमाल के बीच...!!
एक तह लगाकर रख लिया है
मुट्ठी में उसी तरह
जैसे मन को कड़ा करके
तोड़ता है गुलों को गुलशन से माली
देव प्रतिमा पे चढ़ाने के लिए .... !!!
आह ।
मुझे कुछ खरीददारी करनी है
जवाब देंहटाएंकुछ की कीमत पता करनी है
सोचती हूं सबसे पहले
दोस्ती की कीमत का पता करूं
फिर उसके साथ
वफा का सौदा कर लूगी ...!सुन्दर शब्दावली, सुन्दर अभिव्यक्ति.
कई समीकरणों को छूती सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंbhaav rupi sone par shabd rupi suhaga jabardast sunderta badha raha hai.
जवाब देंहटाएंये कुछ ऐसे विचार हैं, जिनसे सहमत होने को जी चाहता है।
जवाब देंहटाएंगहरे भावों का सुंदर अहसास कराती रचना,....
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट में आपका इंतजार है,....
आंसुओ को सूखने के लिए
जवाब देंहटाएंछोड़ दिया है जिद करके
सूखे रूमाल के बीच...!!
एक तह लगाकर रख लिया है
मुट्ठी में उसी तरह
जैसे मन को कड़ा करके
तोड़ता है गुलों को गुलशन से माली
देव प्रतिमा पे चढ़ाने के लिए .... !!!
बहुत ही अद्भुत एवं अनमोल रचना सदा जी ! बहुत ही खूबसूरत ! हर शब्द सीधे दिल में उतरता चला जाता है ! बधाई स्वीकार करें !
आदरणीय दीदी,
जवाब देंहटाएंप्रथम करें अभिवादन स्वीकृत, वफा दोस्ती की क्या कीमत।
हँसी के बदले दे मुस्कान, मिले न ऐसी मुझे दुकान।।
चयन बहुत शब्दों का सुन्दर, भावों का भर दिया समुन्दर।
दिल से प्रेषित करूँ बधाई, रचना मुझे बहुत ही भाई।।
behtreen prastuti, aapsa dost aapsi vfa kon n sath hoga aapke...........
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