बन्द पलकों में ख्वाबों की
सरगोशियां
आहटें उन कदमों की
जो दूर चले गए
पर दिल के बेहद करीब थे
जिनके अहसास
उन्हें इंतजार रहता था
पलकों के बन्द होने का
वो मुझे थपकियां देते
या गुनगुनाते गीत
जिन्दगी के .....!
..............................
सोचती हूं सारे शब्दों को
सौंप दूं तुम्हें
अपनी हथेली का
इसे विस्तृत आकाश देना
इनकी सोच को
धरती ने विस्तार दिया था
पर इन्हें हसरत थी
गगन में उड़ने की
मुझे तुम्हारी हथेलियों पर
एतबार ज्यादा है ...!!!!
मुझे तुम्हारी हथेलियों पर
जवाब देंहटाएंएतबार ज्यादा है ...!!!!
ऐसे भोले भाले विश्वासों पर ही शायद ज़िन्दगी चलती है!
सोचती हूं सारे शब्दों को
जवाब देंहटाएंसौंप दूं तुम्हें
मुझे तुम्हारी हथेलियों पर
एतबार ज्यादा है ...!!!!
Wah!!! bahut hi sundar....
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मुझे तुम्हारी हथेलियों पर
जवाब देंहटाएंएतबार ज्यादा है ...!!!!waah
कविता को पुनः पढ़ना पड़ा और इसे यूँ समझा-
जवाब देंहटाएंमुझे तुम्हारी हथेलियों पर
एतबार ज्यादा है
ओ मुझे थपकियां देते
गुनगुनाते गीत
जिन्दगी के....
सुंदर कविता.
……सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना...बहुत खूब,..
जवाब देंहटाएंanupam bhav srijan ke sundar lage shukriya ji
जवाब देंहटाएंसोचती हूं सारे शब्दों को
जवाब देंहटाएंसौंप दूं तुम्हें
मुझे तुम्हारी हथेलियों पर
एतबार ज्यादा है
bahut khub ......
एक विश्वास का स्पर्श है यह।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव
जवाब देंहटाएंभोली भाली सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई...
एतबार की इंतहा.....
जवाब देंहटाएंसुंदर.... बेहतरीन......बेमिसाल.....
सुंदर रचना ...बहुत गहरे भाव
जवाब देंहटाएंएतबार में बहुत ताकत होती है।
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat.
जवाब देंहटाएंवाह "सदा जी" गहरे अर्थ लिए एक और बेहतरीन अभिव्यक्ति... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंस्पर्श और विश्वास में छिपा प्रेम और प्रेम में प्रकट स्पर्श और विश्वास!
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंमुझे तुम्हारी हथेलियों पर
जवाब देंहटाएंएतबार ज्यादा है ...!!!!
ख़ूबसूरत रचना..
बेहतरीन भावाभिवय्क्ति.....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति, शब्द और भाव दोनों बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... भावों को गहरे से अभिव्यक्त किया है आपने ..
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