तुम्हारे और मेरे बीच
यह खामोशी क्यूं
आपस में हमारी कोई
ऐसी बात भी
नहीं हुई
जो तुम्हें और मुझे
बुरी लगी हो ...
फिर यह
पहल करने का
अहम बेवजह ही पाल लिया था
मन ने
कौन समझाएगा
अब मन को
छोटी-छोटी बातें
बेमतलब की करके
हंस लिया करते थे
वो हंसी बेकरार है
मेरे तुम्हारे अहम के पीछे
तुम गुमसुम हो
तुम्हारा चेहरा देख कर
मैं भी खामोश हूं
ऐसा करते हैं भूल जाते हैं
अहम को
हंसी को आजाद करते हैं
आओ कुछ कहने की
शुरूआत करते हैं ....
तुम्हें पता है
मैने कहीं पढ़ा था
उंगलियों के मध्य
ये रिक्त स्थान
क्यूं रहता है ?
वो इसलिए की
जब हम एक दूसरे का
हांथ थामें तो
उसमें मजबूती कायम रहे :)
बस यही मुस्कान
तुम्हारे चेहरे पे
भली लगती है
कैद होकर हंसी भी
सच मानो
बिल्कुल नमक की डली लगती है .... !!!
ऐसा करते हैं भूल जाते हैं
जवाब देंहटाएंअहम को
हंसी को आजाद करते हैं
आओ कुछ कहने की
शुरूआत करते हैं ....
Wah! Kaash,har koyee is tarah soche!
वो इसलिए की
जवाब देंहटाएंजब हम एक दूसरे का
हांथ थामें तो
उसमें मजबूती कायम रहे :)
बहुत सुन्दर भावों से सजी अच्छी प्रस्तुति ..मजबूती कायम रहे
वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,बहुत अच्छी कृति ।
जवाब देंहटाएंaur khilkhilaker hanste hain ...
जवाब देंहटाएंवो इसलिए की
जवाब देंहटाएंजब हम एक दूसरे का
हांथ थामें तो
उसमें मजबूती कायम रहे :)
बहुत खूब .. बहुत सुन्दर
सच मानो
जवाब देंहटाएंबिलकुल नमक की डली लगती है..
सुंदर भावो से लिखी बढ़िया पोस्ट ..
नए पोस्ट पर स्वागत है ....
सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसादर...
bahut hi badhiya lagi aapki yah rachna badhaai sundar rachna ke liye
जवाब देंहटाएंकैद होकर हंसी भी
जवाब देंहटाएंसच मानो
बिल्कुल नमक की डली लगती है
बहुत ही सुन्दर भाव हैं ..
मन को हम उन्मुक्त करें।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव!
जवाब देंहटाएंnamkeen waise bhee mujhe bahut pasand hai
जवाब देंहटाएंchaahe namak kee dalee hee ho
sundar
वाह....सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंनीरज
बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत किया आपने मनोभावों को।
जवाब देंहटाएंसुंदर। सार्थक।
बस यही मुस्कान
जवाब देंहटाएंतुम्हारे चेहरे पे
भली लगती है
कैद होकर हंसी भी
सच मानो
बिल्कुल नमक की डली लगती है .... !!!
वाह सदा जी आज तो अपने निशब्द करदिया शानदार प्रस्तुति .....
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव!
वाह: बहुत सुन्दर भावों से सजी भावमयी प्रस्तुति ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंनमक की डली से आपका स्वागत इस सुंदर भावमयी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंइस रचना में आपने बिलकुल नई सोच के साथ अपनी बात रखी है।
जवाब देंहटाएंएक अलग अंदाज़ में बेहतरीन रचना.....
जवाब देंहटाएंbhaut badiya.....
जवाब देंहटाएंBahut Hi Sunder Rachna....
जवाब देंहटाएंनमक की डली.........बहुत सुन्दर बिम्ब का प्रयोग किया है ........शानदार|
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बालदिवस की शुभकामनाएँ!
bahut khoobsurat bhaav....vaah
जवाब देंहटाएंबहत जरुरी है अहेम को किनारे रखना
जवाब देंहटाएंवरना रिश्ते बिगड़ जाते हैं
arey wah ye fingers gap wali baat to aaj pata chali :)
जवाब देंहटाएंbahut sunderta se pesh kiya hai man ki halchal ko.
कभी कभी दूर होना भी तो रिश्तों में मजबूती लाता है ... बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,भावमयी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबस यही मुस्कान
जवाब देंहटाएंतुम्हारे चेहरे पे
भली लगती है
कैद होकर हंसी भी
सच मानो
बिल्कुल नमक की डली लगती है .... !!!
आपकी हलचल से यहाँ चले आये जी.
खूबसूरत प्रस्तुति मन को बहुत भाये जी.
कैद करना हँसी का अच्छा नही,
ज्यादा नमक से सुना है 'हाई ब्लडप्रेशर' हो जाता है जी.
उंगलियों के मध्य
जवाब देंहटाएंये रिक्त स्थान
क्यूं रहता है ?
वो इसलिए की
जब हम एक दूसरे का
हांथ थामें तो
उसमें मजबूती कायम रहे :) bahut badhiya