मेरी खामोशी
तुम्हारी खामोशी से
जब टकराती है
तो कभी अहम तुम्हारा
कभी मेरा उसे
बढ़ा देते हैं ....
तुम्हारी खामोशी का
हर लफ्ज
मेरे कानों में उतर जाता है
बिन कहे
कैसे हैरां हो जाती हूं
मन की इस समझ पर
कई बार
फिर मुस्करा देती हूं
ना चाहकर भी
ये प्यार भी जाने
कैसे खेल खेलता है
जिसे चाहता है बेइंतहा
उससे रूठता है झगड़ता है
छोटी-छोटी बात पर
कभी खामोश रहकर चाहता है
कोई उससे बोलने की पहल करे
और वो अपनी
शिकायतों का पिटारा
खोल दे
फिर कभी मन की समझ को
नजरअंदाज कर
ओढ़ लेता है खामोशी
सिर्फ खुद से
बात करने के लिए
कर लेता कैद अपने आपको
रह जाते हैं
जहां सिर्फ वो और सवाल ?
साथ होती है थोड़ी सी खामोशी ......!!!
बहुत खामोश बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंsirf swaal aur khamoshi ...bahut khub .behtreen
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंयह तस्वीर जो आपने लगायी है, मुझे बड़ी प्यारी है....असीम.. एहसास में भींगी है आपकी कविता.....लास्ट की चार लाईन्स जबरदस्त है....!
जवाब देंहटाएंखामोशी के भावों को कितने सुन्दर ढंग से अभिव्यक्ति दी है आपने...
जवाब देंहटाएंख़ामोशी की अपनी भी एक जबान होती है | बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंkhamoshi ko samjha jaye to bahut kuch sunaai dene lagta hai... anytha aham takrata rahta hai
जवाब देंहटाएंमौन में भी संवाद होता है ... सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंखामोशी में हम अपने बहुत पास होते हैं. खूबसूरत अहसास की कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएंखामोशी मे खामोशी से बात करना शायद सबसे बेहतर तरीका है संवाद का।
जवाब देंहटाएंकभी -कभी ख़ामोशी ही बहुत कुछ कह जाती है ...
जवाब देंहटाएंखामोशी खुद अपनी सदा हो
जवाब देंहटाएंऐसा भी हो सकता है...
अच्छी अभिव्यक्ति....
सादर...
खामोशी को आपने अपनी कृति से स्वर दे दिया है!
जवाब देंहटाएंदिल को छूती हुई खामोशी......बहुत सुन्दर्...
जवाब देंहटाएंमुखर खामोशी की सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंशब्द अहसास को बयाँ करते हुए ......
जवाब देंहटाएंखामोशी को साथ कितना सुखद है।
जवाब देंहटाएंखामोशी की तह में भारी हल-चल रहती है.भावमयी रचना.
जवाब देंहटाएंख़ामोशी....पर बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंइसकी ख़ामोशी ने ईसे वो सुनहला चादर ओढाया है की रवि की रश्मियाँ भी अपनी आभा पर संकोच करने लग जायें ...उम्दा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशनिवार १७-९-११ को आपकी पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया पधार कर अपने सुविचार ज़रूर दें ...!!आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपकी ख़ामोशी खामोश सी होकर भी बहुत कुछ
जवाब देंहटाएंकह रही है.पुराना एक गीत फिल्म 'अनुपमा'
का याद आ रहा है
'कुछ दिल ने कहा ... कुछ भी नहीं
कुछ दिल ने सुना ....कुछ भी नहीं
ऐसी भी बातें होतीं हैं ..ऐसी भी बातें होतीं हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
VERY FINE POEM NO DOUBT.LIKED YR BLOG VERY MUCH .mUST BE APPRICIATED.
जवाब देंहटाएंpL keep it up.
regards,
dr.bhoopendra
rewa
mp
ख़ामोशी की अपनी ही भाषा होती है पर उसे मुखर कर लेना चाहिए ... अहम तक नहीं पहुँचने देना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंसदा जी कई बार आपकी पोस्ट आपबीती सी लगती है.......ये भी प्रेम का एक रूप है जिसे आप प्यार करते है शिकायत भी उसी से होती है रूठना भी क्योंकि शायद उम्मीद भी उसी से जुडी होती है और जिसके टूटने पर तकलीफ भी होती है ............बहुत सुन्दर पोस्ट.........हैट्स ऑफ |
जवाब देंहटाएंअहम से बढ़ती है खामोशी।
जवाब देंहटाएंख़ामोशी कभी कभी मन के वो पन्ने पलट देती है जो हम कभी नहीं पढ़ पाते.....बहुत उम्दा रचना .....
जवाब देंहटाएंapki khamoshi bhi kitna kuch kah rahi hai....
जवाब देंहटाएंWah.....Sunder shabd chune hain.....
जवाब देंहटाएंkhaamoshee se ,bahut awaaz kartee huyee rachnaa
जवाब देंहटाएंकभी खामोशी भी बहुत कुछ कह जाती है. सुंदर भावपूर्ण कविता. बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर......
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा मानव मन और मनोविज्ञान को स्वर देती खामोशी .
जवाब देंहटाएंसोमवार, १९ सितम्बर २०११
मौलाना साहब की टोपी मोदी के सिर .
सिर्फ खुद से
जवाब देंहटाएंबात करने के लिए
कर लेता कैद अपने आपको
रह जाते हैं
जहां सिर्फ वो और सवाल ?
साथ होती है थोड़ी सी खामोशी ......!!!
क्या खूब । काश ये खामोशी टूटे व्यंगबाण से नही प्यार की फुहार से ।
Sada ji , sundar ..aise hi to man bola karta hai ....
जवाब देंहटाएंशिकायत शब्द को ही कोष से हटा दिया जाए तो कैसा रहे....तब ख़ामोशी मुखर होगी प्रेमाक्षरों से...
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत...
जवाब देंहटाएंआपकी ख़ामोशी ने बहुत कुछ कह डाला....