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ब्लॉग आर्काइव
मेरे बारे में
- सदा
- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
अंतर्मन की ज़मीन नमी खो दे तो प्रत्येक खुशी ख़ाली हो जाती है. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएँ स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम ....
जवाब देंहटाएंउसके लबों को
जवाब देंहटाएंनमकीन कर गया था ....
सुन्दर भाव बहुत ही गहरे जज्बात
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की बधाइयाँ
अश्कों का खारापन
जवाब देंहटाएंउसके लबों को
नमकीन कर गया था ....
खूबसूरत प्रस्तुति ||
बधाई ||
सभी क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर लगीं धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंतीनो ही बहुत खुबसूरत ...अपनी बात कहने में सक्षम
जवाब देंहटाएंबेजोड़ क्षणिकाएं...बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
मन को छूती हुई सारी क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया।
जवाब देंहटाएंसादर
talkhee dard kam nahee kartee
जवाब देंहटाएंsundar rachnaa
हृदय नम बना रहे।
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं बहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंअद्भुत रचना ....
जवाब देंहटाएंuff !!!
जवाब देंहटाएंpahli wwli rachna to dil men hi utar gyi.....
gajab !!!!
उसकी बातों में,
जवाब देंहटाएंतल्खी है
यक़ीनन उसने
प्यार में शिकस्त
खाई होगी ....
सही पहचाना और तीनो क्षणिकाओं से बहुत सुंदर भाव प्रकट हुए हैं.
सदा जी आपकी कविताओं में सोचने को बहुत कुछ होता है , विचारों की भरमार होती है पंक्तियों में . प्रवाह बनाये रहे बधाई
जवाब देंहटाएंउसकी बातों में,
जवाब देंहटाएंतल्खी है
यक़ीनन उसने
प्यार में शिकस्त
खाई होगी ....
Ye bahut achhee lagee....waise sabhi kshanikayen behad sundar hain!
बेहतरीन क्षणिकाएं...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदर्द को पिया था
जवाब देंहटाएंजब उसने
अश्कों का खारापन
उसके लबों को
नमकीन कर गया था ....
बहुत सुन्दर
उसकी बातों में,
जवाब देंहटाएंतल्खी है
यक़ीनन उसने
प्यार में शिकस्त
खाई होगी ....
बहुत खूबसूरत........कितना सच है इसमें.......शानदार |
वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|
बहुत ही बढ़िया...
जवाब देंहटाएंअंतर्मन पर ध्वनित होती क्षणिकाएं!! सार्थक॥
जवाब देंहटाएंबेहद प्रभावी है सभी क्षणिकाएं ... दूसरी वाली तो विशेष पसंद आई ...
जवाब देंहटाएंआपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 08 -09 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में आज ... फ़ोकट का चन्दन , घिस मेरे नंदन
बंजर जमीन
जवाब देंहटाएंबीज का निष्प्राण होना
कुरेदती कैसे
अन्तर्मन अपना,
नमी खो चुकी थी वो अपनी ..
Very appealing lines Sada ji.
.
बहुत खूब .......बेहतरीन क्षणिकाएँ
जवाब देंहटाएंक्षणिकाएँ सभी अच्छी हैं
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar aur nayaab...
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं बहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ....सीधे अंतस में उतरती रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन क्षणिकाए॥
जवाब देंहटाएंउत्तम क्षणिकाएं...
जवाब देंहटाएंसादर...
बहुत खुबसूरत बेहतरीन क्षणिकाएँ.....
जवाब देंहटाएंteeno kshanikayen bahut khoob ..khas kar last one
जवाब देंहटाएंher kshanika mein samandar si gahrayi hai... to nishchay hi asli moti hain
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