मंगलवार, 6 सितंबर 2011

अश्‍कों का खारापन ...













(1)
उसकी बातों में,
तल्‍खी है
यक़ीनन उसने
प्‍यार में शिकस्‍त
खाई होगी ....
(2)
दर्द को पिया था
जब उसने
अश्‍कों का खारापन
उसके लबों को
नमकीन कर गया था ....
(3)
बंजर जमीन
बीज का निष्‍प्राण होना
कुरेदती कैसे
अन्‍तर्मन अपना,
नमी खो चुकी थी वो अपनी ...

37 टिप्‍पणियां:

  1. अंतर्मन की ज़मीन नमी खो दे तो प्रत्येक खुशी ख़ाली हो जाती है. सुंदर कविता.

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  2. सभी क्षणिकाएँ स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम ....

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  3. उसके लबों को
    नमकीन कर गया था ....
    सुन्दर भाव बहुत ही गहरे जज्बात

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  4. अश्‍कों का खारापन
    उसके लबों को
    नमकीन कर गया था ....

    खूबसूरत प्रस्तुति ||
    बधाई ||

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  5. सभी क्षणिकाएँ बहुत सुन्दर लगीं धन्यवाद|

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  6. तीनो ही बहुत खुबसूरत ...अपनी बात कहने में सक्षम

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  7. बेजोड़ क्षणिकाएं...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  8. सभी क्षणिकाएं बहुत सुंदर ...

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  9. उसकी बातों में,
    तल्‍खी है
    यक़ीनन उसने
    प्‍यार में शिकस्‍त
    खाई होगी ....

    सही पहचाना और तीनो क्षणिकाओं से बहुत सुंदर भाव प्रकट हुए हैं.

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  10. सदा जी आपकी कविताओं में सोचने को बहुत कुछ होता है , विचारों की भरमार होती है पंक्तियों में . प्रवाह बनाये रहे बधाई

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  11. उसकी बातों में,
    तल्‍खी है
    यक़ीनन उसने
    प्‍यार में शिकस्‍त
    खाई होगी ....
    Ye bahut achhee lagee....waise sabhi kshanikayen behad sundar hain!

    जवाब देंहटाएं
  12. दर्द को पिया था
    जब उसने
    अश्‍कों का खारापन
    उसके लबों को
    नमकीन कर गया था ....
    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  13. उसकी बातों में,
    तल्‍खी है
    यक़ीनन उसने
    प्‍यार में शिकस्‍त
    खाई होगी ....

    बहुत खूबसूरत........कितना सच है इसमें.......शानदार |

    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आयें|

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  14. अंतर्मन पर ध्वनित होती क्षणिकाएं!! सार्थक॥

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  15. बेहद प्रभावी है सभी क्षणिकाएं ... दूसरी वाली तो विशेष पसंद आई ...

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  16. बंजर जमीन
    बीज का निष्‍प्राण होना
    कुरेदती कैसे
    अन्‍तर्मन अपना,
    नमी खो चुकी थी वो अपनी ..

    Very appealing lines Sada ji.

    .

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  17. बहुत खूब .......बेहतरीन क्षणिकाएँ

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  18. सभी क्षणिकाएं बहुत सुंदर ...

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  19. बेहतरीन ....सीधे अंतस में उतरती रचना

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  20. बहुत खुबसूरत बेहतरीन क्षणिकाएँ.....

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....