शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
हंस के मना लेती है मां .....
कोई रूठता है तो तब हंस के मना लेती है मां,
खुद के सारे गम जाने कहां छिपा लेती है मां ।
आहत होती है जब भी कभी हद से ज्यादा वो,
तब बस खामोशी का पहरा लगा लेती है मां ।
दस्तक दरवाजे पे देने से पहले खोलती दरवाजा,
मेरे आने का अंदाजा जाने कैसे लगा लेती है मां ।
खजाना अनमोल रखती है मन में सब के लिए,
मुश्किल घड़ी मैं जाने कैसे मुस्करा लेती है मां ।
मेरी हंसी मेरे आंसुओं से कीमती है कहकर जब,
आंचल में सर मेरा अपने जब छिपा लेती है मां ।
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- मन को छू लें वो शब्द अच्छे लगते हैं, उन शब्दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....
आहत होती है जब भी कभी हद से ज्यादा वो,
जवाब देंहटाएंतब बस खामोशी का पहरा लगा लेती है मां ।
सटीक अभिव्यक्ति ... सुन्दर रचना
दस्तक दरवाजे पे देने से पहले खोलती दरवाजा,
जवाब देंहटाएंमेरे आने का अंदाजा जाने कैसे लगा लेती है मां
सुन्दर अभिव्यक्ति
मेरी हंसी मेरे आंसुओं से कीमती है कहकर जब,
जवाब देंहटाएंआंचल में सर मेरा अपने जब छिपा लेती है मां ।
माँ के सहज उपकारों की गहन सम्वेदना अभिव्यक्ति!!
माँ की ममता,
जवाब देंहटाएंमन था रमता।
मेरी हंसी मेरे आंसुओं से कीमती है कहकर जब,
जवाब देंहटाएंआंचल में सर मेरा अपने जब छिपा लेती है मां ।
माँ......मैं क्या कहूँ तेरे लिए....तू ही बता न......
आदरणीय सदा जी..
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
बेहतरीन भाव लिए रचना।
शब्द नहीं सूझ रहे....... क्या लिखूं इस पर।
सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंmaa to maa hai wah sab jaanti hai ..behtreen rachna
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.......माँ तो माँ है उस जैसा सारी जिंदगी कोई नहीं हो पाता|
जवाब देंहटाएंकोई रूठता है तो तब हंस के मना लेती है मां,
जवाब देंहटाएंखुद के सारे गम जाने कहां छिपा लेती है मां ।
आहत होती है जब भी कभी हद से ज्यादा वो,
तब बस खामोशी का पहरा लगा लेती है मां ।
दस्तक दरवाजे पे देने से पहले खोलती दरवाजा,
मेरे आने का अंदाजा जाने कैसे लगा लेती है मां
khoobsoorat ahsaason ki sundar rachana.
तभी तो माँ को भगवान से भी ऊपर स्थान दिया गया है ........माँ तो माँ होती है ....आभार इतनी प्यारी रचना पढ़ने का अवसर देने के लिए
जवाब देंहटाएंमाँ ऐसी ही होती है..सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंममतामयी माँ पर आपने बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है!
जवाब देंहटाएंआभार इसे प्रकाशित करके पढ़वाने के लिए!
bahut hi sundar rachna !
जवाब देंहटाएंmaa kitni pyaari hoti hai...
जवाब देंहटाएंकोई रूठता है तो तब हंस के मना लेती है मां,
जवाब देंहटाएंखुद के सारे गम जाने कहां छिपा लेती है मां ।
आहत होती है जब भी कभी हद से ज्यादा वो,
तब बस खामोशी का पहरा लगा लेती है मां ।
Bemisaal panktiyan hain!
बेजोड़ रचना ......बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकल ,शनिवार ३०-७-११ को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा होगी नयी -पुरानी हलचल पर..कृपया अवश्य पधारें ..!!
जवाब देंहटाएंमां का प्यार अनमोल है
जवाब देंहटाएंममत्व को उकेरती रचना सुंदर लगी.
जवाब देंहटाएंमेरी हंसी मेरे आंसुओं से कीमती है कहकर जब,
जवाब देंहटाएंआंचल में सर मेरा अपने जब छिपा लेती है मां ।
....bahut badiya MAA kee mamtamayee prastuti..
मेरी हंसी मेरे आंसुओं से कीमती है कहकर जब,
जवाब देंहटाएंआंचल में सर मेरा अपने जब छिपा लेती है मां ।
माँ के प्यार का और उसकी भावनाओं सुंदर एहसास. अद्भुत.
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंachchi rachna...behtreen kathy...sadhuwaad...
जवाब देंहटाएंभाव पूर्ण माँ का एक शब्द चित्र हम सका सहभावित चित्त सा .कृपया यहाँ भी http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/पधारें -
जवाब देंहटाएंhttp://sb.samwaad.com/
मां का प्यार अनमोल है..भाव पूर्ण अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंआहत होती है जब भी कभी हद से ज्यादा वो,
जवाब देंहटाएंतब बस खामोशी का पहरा लगा लेती है मां ,,,
माँ को बहुत करीब से लिखा है आपने ... गहरी रचना ...