फासले आ गये,
मुहब्बत में कैसे,
जरूर
इक-दूसरे से
तुमने कुछ
छिपाया होगा …!!
भाग रही थी अपने आप से,
छुपा रही थी वह
खुद को
सवालों से
जिनका जवाब उसे पता था
पर वह बताकर
अपमान नहीं करना चाहती थी
अपने विश्वास का …!!
आंखे आंसुओं से सजल
हो उठती थीं जब
कोई कहता था
परख लूं तेरी प्रीत को …!!
बहुत संवेदनशील..... मन के सच्चे भावों की प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंise vatvriksh ke liye bhejen parichay aur alag tasweer ke saath
जवाब देंहटाएंरश्मि जी, एवं आप सबका बहुत-बहुत आभार ।
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत एहसासों से भरा ,एक एक पंक्ति कबीले तारीफ है.
जवाब देंहटाएंओह! प्रीत का ये कैसा इम्तिहान्।
जवाब देंहटाएंसंवेदनशील अभिव्यक्ति। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंप्रेम में ऐसा कोई भी क्षण भारी लगता है... समझ काम करना बंद कर देती है... बहुत ही प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत संवेदना से भरे एहसास ...सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंप्रीत भी कोई परखने की चीज़ है ... यह तो त्याग और समर्पण है!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंमनोभावों को बहुत ही ईमानदारी से प्रस्तुत किया है आपने!
संवेदना है बहुत इस रचना में .. सच है इंसान भागता है अपने आप से ही ... कई ऐसे लम्हे आते हैं इस जीवन में ...
जवाब देंहटाएंबहोत ही भावमयी रचना........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर एवं भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंसच कहा तभी फांसले आते है जब कुछ छुपाव शुरू हो जाते हैं.
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति.
परखना तो होगा ही
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण रचना
गहरी बात!
जवाब देंहटाएंsundar bhavanaon se saji kavita k liye badhai....
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार दिवाली की शुभ कामनाएं.
जवाब देंहटाएंप्रेम में विश्वास जरुरी है ....
जवाब देंहटाएंसंदेह का कोई अंत नहीं ......
Bahut sunder shabd
जवाब देंहटाएंDil ki bhawnayo ko bahut khoobsurti se sajya hai aapne.....
कई पुराने पोस्ट भी पढ़े। अच्छा काम हो रहा है आपके ब्लॉग पर। फिर लौटूंगा। जारी रखें।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावनात्मक रचना ... प्रीत परखने की नहीं महसूस करने के लिए है
जवाब देंहटाएंBahut achha laga aapka blog..
जवाब देंहटाएं..sach mein preet ko parakhna kisi vishwasghat se kam nahi..
Sundar manbhawon kee prastuti...aabhar
bahot achchi lagi .
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक अनुभूति है
जवाब देंहटाएंप्रेम मे फांसले तभी बढते है जब मन मे बात छुपायी जाने लगें
सच ही कहा है पर अगर सच्ची प्रीत है तो परखने कि क्या जरुरत आँखों में ही दिख जाती है
जवाब देंहटाएंpyar me kabhi kuch bhi nahi chupana chahiye
जवाब देंहटाएंnahi pyar crash ho jara hai
संगदिल है यार मेरा मुझको भी खबर है
जवाब देंहटाएंफिर भी यार पे ख़ुशी अपनी लुटा देता हूँ .....
बहुत खूब .....!!
बहुत अच्छी नज़्म है सदा जी ....वाह .....!!