शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

तर्पण मेरा इस पितृपक्ष मे !!!


पापा ये पितृपक्ष
आता है जब
मैं हरदिन
तर्पण करती हूँ
ये सोच के
आप दूर जाकर भी
नहीं जा पाये मन से
मेरी अँजुरी में जल के साथ ही
समाहित है अश्रुजल की बूंदें भी
करुण पुकार ह्रदय की
श्रद्धा से अर्पित आपको !
...
जल में पल छिन यादों के
ये तिल स्वरूप
आपके निमित्त किये
श्रद्धा से जो किया जाये
वो आप तक पहुँचता है
समर्पित है आपको
भावों भरा तर्पण मेरा
इस पितृपक्ष मे !!!

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मन को छू लें वो शब्‍द अच्‍छे लगते हैं, उन शब्‍दों के भाव जोड़ देते हैं अंजान होने के बाद भी एक दूसरे को सदा के लिए .....