शब्द प्रेरणा होते हैं
जब मन स्वीकारता है उन्हें
तो अर्थ बोलते हैं उनके
आरम्भ होती हैं पंक्तियाँ
जन्म लेती है कविता
कितनी बार
इन शब्द और अर्थों के साये में !
...
प्रेरक विचार
जन्म लेने से पहले
कितना मथते हैं मन को
शब्दों का कोलाहल
एकदम शांत चित्त हो
ठिठककर सुनता है
अर्थ बोलते हैं जब
इन शब्दों के
विचार एकाएक
हो जाते हैं बलशाली
निश्चय की आखि़री सीढ़ी
वो चढ़ चुके होते है
जहाँ उनकी अडिगता को
डिगा पाना मन के लिए भी
संभव नहीं हो पाता !!!