तिरंगे का उत्सव मनाता बचपन
फूलों की तरह मुस्काता बचपन ।
वीरों की गाथाओं का कर स्मरण,
शीष अपना हरदम झुकाता बचपन ।
वंदे मातरम् कह बुलंद आवाज में
तिरंगे के साये में इतराता बचपन ।
भारत माता की छवि लिये मन में,
विजय के गीत गुनगुनाता बचपन ।
नाउम्मीदी के हर दौर में
भी सदा
बन के उम्मीद मुस्कराता बचपन ।