मंगलवार, 16 नवंबर 2010

एक नया दर्द .....








दर्द के रिश्‍ते में एक नया दर्द आ गया,

भूलकर हर दर्द जब भी मुस्‍कराना चाहा ।

आंखे ख्‍वाब सजा लेती एक नया फिर से,

जब भी मैने टूटा हुआ ख्‍वाब छुपाना चाहा ।

पलकों पे आंसू मोती बनके चमक उठते,

जब भी तुम्‍हें इस दिल ने भुलाना चाहा ।

लम्‍हे जुदाई के आते जब मुहब्‍बत में

जीने के बदले फक़त मर जाना चाहा ।

टूटे सपने, बहते आंसू, जुदाई के पल ले

यादों की गली से खामोश ही जाना चाहा ।

सोमवार, 1 नवंबर 2010

परख लूं ....





फासले आ गये,

मुहब्‍बत में कैसे,

जरूर

इक-दूसरे से

तुमने कुछ

छिपाया होगा …!!

भाग रही थी अपने आप से,

छुपा रही थी वह

खुद को

सवालों से

जिनका जवाब उसे पता था

पर वह बताकर

अपमान नहीं करना चाहती थी

अपने विश्‍वास का …!!

आंखे आंसुओं से सजल

हो उठती थीं जब

कोई कहता था

परख लूं तेरी प्रीत को …!!